गेलेले ते दिवस..... |
| नाही येत परत.... |
| तुझ्या त्या सहवासात मन होते रमत.... |
| गेले ते दिवस पण आठवण नाही सरत.... |
| सुप्रिया. |
| 08.10.2011 |
| शब्दांची रास....... |
| तुझा तो सहवास.... |
| तू नसताना हि मग तुझा तो भास..... |
| घेऊन जायचा मला तुझ्या शब्दांच्या राज्यात हमखास....... |
| सुप्रिया. |
| 10.10.2011 |
| तुझ्या शब्दांत गुरफटून जाणारी.... |
| तुझ्या मिठीत विरघळून जाणारी .... |
| तुला माझ्या मनात साठवून ठेवणारी..... |
| तुझ्या आठवणीना सदैव कवटाळून बसणारी.... |
| सुप्रिया. |
| 10.10.2011 |
| कोजागिरीचा चंद्र जणू तुझाच एक भास.... |
| आजची हि रात्र सजणार आहे तुझ्यासाठी खास..... |
| त्या चंद्राच्या छटेमधला तुझा तो सहवास..... |
| उगवणार आहे चंद्र जणू माझ्यासाठीच आज.... |
| सुप्रिया. |
| 11.10.2011 |
| गम्मत-गम्मत म्हणून मला एकटक पाहत राहायचं..... |
| मग मी हि तुला माझ्या नजरेत साठवायचं..... |
| वेळेचे भान हरवून मग जायचं.... |
| मी निघाले कि लगेच तू रागवायचं..... |
| सुप्रिया. |
| 12.10.2011 |
| सख्या काल तुझी आठवण झाली पावसात एकटच भिजताना..... |
| किती वेडे होऊन जायचो आपण एकत्र पावसाचा आनंद लुटताना.... |
| क्षणीक होता रे आनंद तो पावसाचा थेंब अंगावर झेलताना.... |
| खरच काल पण कुणालाही कळलं नसेल रे मी पावसात रडताना..... |
| सुप्रिया. |
| 14.10.2011 |
| चारोळीतील एक ओळ तुझ्याचसाठी खास... |
| एकदातरी प्रेमाने पाहावे माझ्याकडे हि एकच आस..... |
| म्हणतोस तू....माझ्या आठवणी तर आहेत फक्त एक भास..... |
| माझ्या या प्रश्न-मंजुषेमध्ये नेहमीच तूच का होतोस रे पास...??? |
| सुप्रिया. |
| 14.10.2011 |
Saturday, October 22, 2011
सुप्रिया च्या चारोळ्या भाग २..
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